श्रीनगर: सिद्धपीठ मां धारी मां काली का रूप माने जाने वाली धारी देवी की प्रतिमा को एक बार फिर से उसकी मूल जगह पर स्थापित किया जाएगा. जिसकी तिथि की घोषणा धारी देवी मंदिर के पुजारियों ने की है. पुजारियों ने बताया कि नवरात्रों में 6 अप्रैल के दिन मां धारी देवी को मूल मंदिर में स्थापित किया जाएगा।इसके लिए सुबह 3.33 मिनट से 5 बजे तक का समय निर्धारित किया गया है।जीवीके कंपनी द्वारा धारी देवी मंदिर का नया स्वरूप पर्वतीय शैली में बनाया गया है। आपदा के लगभग 8 साल बाद धारी देवी को नया मंदिर मिलेगा।. इससे श्रद्धालुओं को भी पूजा पाठ करने में सुविधाएं मिलेंगी। गुरुवार को धारी देवी मंदिर प्रांगण में बद्री केदार मंदिर समिति के धर्माधिकारी भुवन चंद्र उनियाल की अध्यक्षता में बैठक आहुत की गई। जिसमें धारी देवी की मूर्ति को शिफ्ट करने का मुहूर्त निकाला गया।
बता दें अभी मां धारी देवी की मूर्ति अस्थाई मंदिर में रखी गई थी. इससे पहले 13 जून की शाम को धारी देवी की मूर्ति को प्राचीन मंदिर से अपलिफ्ट कर वहां से हटा दिया गया था. श्रीनगर में बन रहे हाइडिल-पॉवर प्रोजेक्ट के लिए ऐसा किया गया था. प्रतिमा जैसे ही हटाई गई उसके बाद 16 जून 2013 को केदारनाथ में तबाही का मंजर आया था. जिसमें सैकड़ों लोग इस तबाही में मारे गए थे. बाद में उसी जगह पर फिर से मंदिर का निर्माण कराया गया।जानकारीधारी देवी का मंदिर श्रीनगर से करीब 14 किलोमीटर की दूर है. इस मंदिर में मौजूद माता की मूर्ति दिन में तीन बार अपना रूप बदलती है. मूर्ति सुबह में एक कन्या की तरह दिखती है, फिर दोपहर में युवती और शाम को एक बूढ़ी महिला की तरह नजर आती है. देवी काली को समर्पित इस मंदिर के बारे में मान्यता है कि यहां मौजूद मां धारी उत्तराखंड के चारधाम की रक्षा करती है. इस माता को पहाड़ों और तीर्थयात्रियों की रक्षक देवी माना जाता है।