दीपक बेंजवाल / रांसी दस्तक पहाड न्यूज- मदमहेश्वर घाटी के रांसी गांव से लगभग 39 किमी दूर चौखम्बा की तलहटी में बसे भगवती मनणा माई लोकजात यात्रा की तैयारियां जोरों पर हैं। इस बार मनणामाई की लोक जात यात्रा का शुभारंभ आगामी 21 जुलाई को राकेश्वरी मंदिर रांसी से होगा।

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[caption id="attachment_31907" align="aligncenter" width="1080"] राकेश्वरी मंदिर, रांसी[/caption] लोकजात यात्रा कितने दिनों में संपन्न होगी, यह हिमालयी क्षेत्रों के मौसम पर निर्भर करेगा। इस बार मनणामाई लोकजात यात्रा को भव्य रूप देने के लिए ग्रामीणों व युवाओं की ओर से भरसक प्रयास किया जा रहा है। [caption id="attachment_31904" align="aligncenter" width="1080"] मनणी धाम[/caption] राकेश्वरी मंदिर समिति अध्यक्ष जगत सिंह पंवार ने बताया कि भगवती मनणामाई भेड़ पालकों की आराध्य देवी मानी जाती है। राकेश्वरी मंदिर रांसी से मनणामाई तीर्थ तक लोकजात यात्रा की परम्परा युगों से चली आ रही है। इसी परम्परा के तहत आगामी 21 जुलाई से मनणामाई लोकजात यात्रा का शुभारंभ होगा। बदरी केदारनाथ मंदिर समिति के पूर्व सदस्य शिव सिंह रावत ने बताया कि इस बार मनणामाई लोकजात यात्रा को भव्य रूप देने के लिए सामूहिक पहल की जा रही है। [caption id="attachment_31905" align="aligncenter" width="715"] मनणी बुग्याल[/caption] राकेश्वरी मंदिर और मनणा माई के पुजारी भगवती प्रसाद भट्ट, रवीन्द्र भट्ट ने बताया कि मनणामाई की लोकजात यात्रा राकेश्वरी मंदिर रांसी से शुरू होकर सनियारा, कंडारा गुफा, पटूडी, थौली, शिला समुद्र, कुलवाणी सहित विभिन्न पड़ावों से होते हुए मनणामाई तीर्थ पहुंचते है। [caption id="attachment_31906" align="aligncenter" width="768"] पुजारी की पीठ पर जाती मनणीमाई[/caption] रांसी की प्रधान कुंती देवी ने बताया कि रांसी से मनणामाई तीर्थ स्थल अपार वन संपदा और अनेक प्रकार से फूलों से आच्छादित है। इसलिए मनणामाई तीर्थ स्थल पर बार-बार जाने की इच्छा बनी रहती है। यात्रा पड़ावों के बारे जानकारी देते हुए आयोजन समिति से जुड़े युवा मुकेश नेगी ने बताया कि जात कार्यक्रम छः दिन का प्रस्तावित है। पहले दिन राँसी से सनेरा बुग्याल, दूसरे दिन सनेरा से थौलीधार बुग्याल, तीसरे दिन थौलीधार से मनणा माई धाम, चौथे दिन प्रातःकाल में विधिवत् पूजा अर्चना के बाद वापसी होगी। पांचवे दिन थौलीधार से सनेरा और छठे दिन पुनः राँसी आगमन होगा। इस दिव्य अलौकिक लोक जात में सम्मिलित होने वाले इछुक श्रद्धालु निम्न नंबरों पर सम्पर्क कर अन्य जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। -9410782343, 7451882343 क्या है मान्यता  उत्तराखंड की लोक संस्कृति में स्थानीय लोकजात यात्राओं का विशेष महत्व है ।अधिकांशतः ये हिमालयी क्षेत्रों के दूरस्थ गाँवों से प्रारम्भ होकर उच्च हिमालय क्षेत्रों तक जाती है। प्रतिवर्ष श्रावण मास के पहले हफ्ते मनणीमाई जात 39 किमी0 की दूरी तय की जाती है।मान्यता है कि इस स्थान पर माँ दुर्गा ने महिसासुर का वध किया था।इस स्थान पर आज भी दूर दूर से साधक आकर माँ दुर्गा की उपासना करते हैं।साधकों का मानना है कि इस स्थान पर माँ दुर्गा की साधना करने से अभीष्ठ की प्राप्ति अवश्य ही होती है।इस क्षेत्र में दूर दूर तक फैले हरे भरे मखमली बुग्याल पर्यटकों और प्रकृति प्रेमियों को भी आकर्षित करते रहे हैं।ट्रेकर यहाँ से खांम ग्लेशियर और हथिनी पीक होते हुए केदारनाथ तक भी पहुँचते हैं।इस पूरी यात्रा में प्रकृति के विभिन्न रंगों से सराबोर छटाएं बरबस ही मन मोह लेती हैं। कैसे पहुँचे राँसी रांसी पहुँचने के लिए रुद्रप्रयाग जिला मुख्यालय से ऊखीमठ और ऊखीमठ से मनसूना, राऊलैंक, उनियाणा होते हुए रांसी गाँव तक सड़क मार्ग से पहुंच जा सकता है। यात्रा की तैयारियाँ उच्च हिमालयी और बुग्याली क्षेत्र होने के कारण बारिश और ठंड यहाँ लगातार बनी रहती है , जिससे बचने के लिए रैनकोट, छाता और गर्म कपड़े जरूर रखे। चाकलेट, ड्राईफ्रूट और कुछ खाद्य सामग्री अवश्य साथ रखे। रहने के लिए टैंट, स्लीपिंग बैग साथ ले जाना सुविधाजनक होगा।