संकट: मंदाकिनी नदी ने बहाई 80 गाँवों की लाइफलाइन, कैद हुई जिंदगी
1 min read
18/08/20238:13 pm
दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि
दस्तक पहाड़ न्यूज।। केदार घाटी में अतिवृष्टि और बादल फटने के बाद उफान पर आई मंदाकिनी नदी ने जखोली और बसुकेदार तहसील के 80 से अधिक गाँवों की सड़क को गंगानगर और बांसवाड़ा में पूरी तरह से अवरूद्ध कर दिया। इसमें अगस्त्यमुनि-तिमली और सिल्ला पठालीधार सड़क मार्ग का तो बड़ा हिस्सा गंगानगर के समीप मंदाकिनी में समा चुका है जिसके दुबारा बनने की संभावना क्षीण है। इधर गुरूवार सुबह गंगानगर के समीप तिमली बैंड के ऊपर पहाड़ी का हिस्सा भरभरा नीचे सड़क पर गिर गया है जिससे तिमली जाने वाली सड़क पर भी संकट आ गया है।
सिल्ला बामण गाँव जिला पंचायत सदस्य कुलदीप कण्डारी कहते है कि दो तहसीलों के तकरीबन 80 से अधिक गांवों के लिए, यह सड़क लाइफलाइन है, इसके बंद होने से क्षेत्र में खाद्यान्न, रसोई गैस की समस्या उत्पन्न हो गई है। मौजूदा मार्ग के स्थान पर जनहित में लोनिवि को शीघ्र नया समरेखण कर समस्या का निदान करना होगा।
सिल्ला बामण गाँव व के क्षेत्र पंचायत सदस्य सावन नेगी कहते है मौजूदा सड़क का 50 मीटर हिस्सा पूर्ण रूप से बह चुका है जिसका ठीक होना बहुत असंभव है क्योंकि ऊपर से खतरनाक पहाड़ी और आवासीय बस्ती है और नीचे की तरफ से नदी का खतरनाक बहाव है। उक्त मोटर मार्ग जखोली और बसुकेदार तहसील के अनेक गाँवों का संपर्क मार्ग है और केदारनाथ यात्रा का विकल्प भी सिर्फ यही मार्ग है। वर्ष 2013 में भी यह पूर्ण रूप से बह चुका था फिर दोबारा इसी मार्ग का नव निर्माण किया गया था बरसात के समय हर साल इस मार्ग पर पत्थर गिरने का खतरा बना रहता है जान जोखिम में डालकर ग्रामीण इस पर आवाजाही करते हैं। उन्होंने रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर उक्त मार्ग को गंगानगर से एल एण्ड टी सड़क से जोड़कर नव निर्माण करवाने की मांग की है।
प्रांतीय उद्योग ब्यापार प्रतिनिधि मंडल रुद्रप्रयाग जिला महामंन्त्री मोहन रौतेला का कहना है कि सड़क के अवरुद्ध होने से इन गावों की दैनिक क्रियाएँ जैसे स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग एवम आवागमंन पूर्णत: प्रभावित हो गया है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव अगस्तमुनि के ब्यापार ब्यवसाय पर भी पड़ गया है। जनहित मे बाधित मोटरमार्ग के समीप हल्के वाहनो के लिए बैकल्पिक ब्यवस्था हेतु फलई प्रतिक्षालय से रेन्यु पावर हाउस मार्ग तक लिंक मार्ग का निर्माण शीघ्र किया जाना चाहिए।
खतरे में गंगानगर पुल, जवाहरनगर मौहल्ला
2013 की महा आपदा के बाद गंगानगर पुल और केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग को बचाने के लि, सुरक्षा दीवार दी गई थी, बीते रविवार को यह सुरक्षा दीवार भी पूर्ण रूप से बह गई है। नदी का पानी लगातार पुल की ,प्रोच वाॅल और राजमार्ग के बचे हिस्से को काट रहा है। बारिश और लगातार जारी रहती है तो राजमार्ग कभी भी मंदाकिनी में समा सकता है, इससे मौजूदा गंगानगर पुल और जवाहरनगर मौहल्ले को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। बता दें जवाहरनगर में केदार?घाटी का सबसे बड़ा उच्च शिक्षा का केन्द्र राजकीय स्नातकोतर महाविद्यालय भी स्थित है। गंगानगर मौहल्ले से लगे छोर पर महा आपदा के बाद एल एण्ड टी द्वारा मजबूत दीवार दे दी गई थी लेकिन दूसरा हिस्से पर कामचलाऊ दीवार ही लग पाई, इस बार फिर मंदाकिनी ने अपना रौद्र रूप दिखाया है, ऐसे में इस स्थान पर मजबूत दीवार की आवश्यकता है जिससे स्थानीय जानमाल के साथ केदारनाथ यात्रा को भी सुचारू रखा जा सकेगा।
देश और दुनिया सहित स्थानीय खबरों के लिए जुड़े रहे दस्तक पहाड़ से।
खबर में दी गई जानकारी और सूचना से क्या आप संतुष्ट हैं? अपनी प्रतिक्रिया जरूर दे।
संकट: मंदाकिनी नदी ने बहाई 80 गाँवों की लाइफलाइन, कैद हुई जिंदगी
दस्तक पहाड़ की से ब्रेकिंग न्यूज़:
भारत में सशक्त मीडिया सेंटर व निष्पक्ष पत्रकारिता को समाज में स्थापित करना हमारे वेब मीडिया न्यूज़ चैनल का विशेष लक्ष्य है। खबरों के क्षेत्र में नई क्रांति लाने के साथ-साथ असहायों व जरूरतमंदों का भी सभी स्तरों पर मदद करना, उनको सामाजिक सुरक्षा देना भी हमारे उद्देश्यों की प्रमुख प्राथमिकताओं में मुख्य रूप से शामिल है। ताकि सर्व जन हिताय और सर्व जन सुखाय की संकल्पना को साकार किया जा सके।
दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि
दस्तक पहाड़ न्यूज।। केदार घाटी में अतिवृष्टि और बादल फटने के बाद उफान पर आई मंदाकिनी नदी ने जखोली और बसुकेदार तहसील के 80 से अधिक गाँवों की सड़क को गंगानगर
और बांसवाड़ा में पूरी तरह से अवरूद्ध कर दिया। इसमें अगस्त्यमुनि-तिमली और सिल्ला पठालीधार सड़क मार्ग का तो बड़ा हिस्सा गंगानगर के समीप मंदाकिनी में समा
चुका है जिसके दुबारा बनने की संभावना क्षीण है। इधर गुरूवार सुबह गंगानगर के समीप तिमली बैंड के ऊपर पहाड़ी का हिस्सा भरभरा नीचे सड़क पर गिर गया है जिससे
तिमली जाने वाली सड़क पर भी संकट आ गया है।
सिल्ला बामण गाँव जिला पंचायत सदस्य कुलदीप कण्डारी कहते है कि दो तहसीलों के तकरीबन 80 से अधिक गांवों के लिए, यह सड़क लाइफलाइन है, इसके बंद होने से क्षेत्र में
खाद्यान्न, रसोई गैस की समस्या उत्पन्न हो गई है। मौजूदा मार्ग के स्थान पर जनहित में लोनिवि को शीघ्र नया समरेखण कर समस्या का निदान करना होगा।
सिल्ला बामण गाँव व के क्षेत्र पंचायत सदस्य सावन नेगी कहते है मौजूदा सड़क का 50 मीटर हिस्सा पूर्ण रूप से बह चुका है जिसका ठीक होना बहुत असंभव है क्योंकि ऊपर
से खतरनाक पहाड़ी और आवासीय बस्ती है और नीचे की तरफ से नदी का खतरनाक बहाव है। उक्त मोटर मार्ग जखोली और बसुकेदार तहसील के अनेक गाँवों का संपर्क मार्ग है और
केदारनाथ यात्रा का विकल्प भी सिर्फ यही मार्ग है। वर्ष 2013 में भी यह पूर्ण रूप से बह चुका था फिर दोबारा इसी मार्ग का नव निर्माण किया गया था बरसात के समय हर
साल इस मार्ग पर पत्थर गिरने का खतरा बना रहता है जान जोखिम में डालकर ग्रामीण इस पर आवाजाही करते हैं। उन्होंने रूद्रप्रयाग के जिलाधिकारी को पत्र लिखकर
उक्त मार्ग को गंगानगर से एल एण्ड टी सड़क से जोड़कर नव निर्माण करवाने की मांग की है।
प्रांतीय उद्योग ब्यापार प्रतिनिधि मंडल रुद्रप्रयाग जिला महामंन्त्री मोहन रौतेला का कहना है कि सड़क के अवरुद्ध होने से इन गावों की दैनिक क्रियाएँ जैसे
स्वास्थ्य, शिक्षा, बैंकिंग एवम आवागमंन पूर्णत: प्रभावित हो गया है, जिसका प्रतिकूल प्रभाव अगस्तमुनि के ब्यापार ब्यवसाय पर भी पड़ गया है। जनहित मे बाधित
मोटरमार्ग के समीप हल्के वाहनो के लिए बैकल्पिक ब्यवस्था हेतु फलई प्रतिक्षालय से रेन्यु पावर हाउस मार्ग तक लिंक मार्ग का निर्माण शीघ्र किया जाना चाहिए।
खतरे में गंगानगर पुल, जवाहरनगर मौहल्ला
2013 की महा आपदा के बाद गंगानगर पुल और केदारनाथ राष्ट्रीय राजमार्ग को बचाने के लि, सुरक्षा दीवार दी गई थी, बीते रविवार को यह सुरक्षा दीवार भी पूर्ण रूप से बह
गई है। नदी का पानी लगातार पुल की ,प्रोच वाॅल और राजमार्ग के बचे हिस्से को काट रहा है। बारिश और लगातार जारी रहती है तो राजमार्ग कभी भी मंदाकिनी में समा सकता
है, इससे मौजूदा गंगानगर पुल और जवाहरनगर मौहल्ले को भी खतरा उत्पन्न हो गया है। बता दें जवाहरनगर में केदार?घाटी का सबसे बड़ा उच्च शिक्षा का केन्द्र राजकीय
स्नातकोतर महाविद्यालय भी स्थित है। गंगानगर मौहल्ले से लगे छोर पर महा आपदा के बाद एल एण्ड टी द्वारा मजबूत दीवार दे दी गई थी लेकिन दूसरा हिस्से पर कामचलाऊ
दीवार ही लग पाई, इस बार फिर मंदाकिनी ने अपना रौद्र रूप दिखाया है, ऐसे में इस स्थान पर मजबूत दीवार की आवश्यकता है जिससे स्थानीय जानमाल के साथ केदारनाथ
यात्रा को भी सुचारू रखा जा सकेगा।