दीपक बेंजवाल  / दस्तक पहाड न्यूज  मक्कूबैण्ड/ चोपता । जनान्दोलन से डरे प्रशासन और वन विभाग ने कायरों की भांति मंगलवार दो बजे रात तुंगनाथ घाटी के मक्कू बैंड में कई पीढ़ियों से चलने वाले स्थानीय लोगों के ढाबे तोड़ डाले। यह कार्रवाई इतनी गुपचुप तरीके से की गई कि किसी को कानों-कान ख़बर तक नहीं लगी। आज सुबह जब स्थानीय ढाबे मालिक मक्कूबैण्ड पहुँचे तो टूटे ढाबो में बिखरा सामान देखकर मायूस हो गए। लोगो के जीवन का सहारा खत्म हो गया, भविष्य के सारे सपनेइस वहशीपन ने माने तिनके तिनके की भांति बिखेर

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दिये। आँखों में आँसू और दिल में नेताओं, सरकार, और अंधे कानूनों के खेवनहारों पर सैकड़ों लानत भेजी। सुनने में आया है मौजूदा सरकार स्थानीय लोगो को उजाड़ने के बाद करोड़ो रूपयों में चोपता में टूरिज्म जोन बनाने जा रही है, लेकिन इस पर संरक्षित वन कानून का कोई डंडा नही है। उत्तराखंड क्रांति दल प्रशासन और वन विभाग की इस कार्रवाई की निंदा की है। उत्तराखंड क्रान्ति दल के युवा नेता मोहित डिमरी इस अमानवीय कार्यवाही की निंदा करते हुए कहा कि ये सरकार और वन विभाग की सरासर तानाशाही है, देर रात लोगों के ढाबे तोड़ डाले गए,ऐसा तो अंग्रेजों के जमाने में भी नहीं हुआ होगा। पीढ़ी-दर-पीढ़ी रोजगार कर रहे लोगों को उजाड़ना सही नहीं है। सरकार वन अधिकार कानून क्यों नहीं लागू नहीं कर रही है। जो लोग बेरोजगार हो गए हैं, वन विभाग उनके रोजगार की व्यवस्था करें। नुकसान का मुआवजा पीड़ितों को दिया जाय। उत्तराखंड क्रांति दल प्रदेश भर में सरकार की पहाड़ उजाड़ने की नीतियों का विरोध करेगा। केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत ने भी इस घटना की कड़ी निंदा करते हुए कहा चोपता-तुंगनाथ क्षेत्र के मक्कू बैंड स्थित ढाबों को उजाड़ दिया गया है, ये ढाबे या पुरानी छानियां तब से हैं जब सड़क भी नहीं थी। इन लोगों की कई पीढ़ियां यंहा पर लोगों की सेवा करते हुए कट गई। वनाधिकार कानून 2006 में इनके अधिकार संरक्षित थे इसलिए वन विभाग ने सबसे पहली चोट इन पर ही की। हमारी याद में कभी भी अंग्रेजों के शासन से लेकर आज तक कोई बिभाग किसी को उजाड़ने रात को नहीं आया यह पाप उत्तराखंड सरकार ने पहली बार तृतीय केदार की भूमि में करके दिखाया। इस उपलब्धि के लिए उत्तराखंड सरकार को बधाई ! इस घटना के बाद लोगों में काफी रोष है। स्थानीय युवा कमलेश बर्त्वाल कहते है अभी कुछ नहीं हुआ अगर यही हाल मोदी नाम से राज्यों में बिना प्रत्याशी देखें बोट दोगे तो इससे भी बहतर हाल होंगे रोजगार तो दे नहीं पा रहे और जो पकोड़े भी तल रहे हैं उनके ठेले टपरे भी अतिक्रमण के भेंट चढ़ेगे । योगेन्द्र नेगी कहते है एक तो इतनी बेरोजगारी ऊपर से लोगों के रोजगार को छीना जा रहा है बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना क्षेत्र नेताओं और जनप्रतिनिधियों को एक होने की जरूरत है क्या हमने यही सपना देखने के लिए उत्तराखंड मांगा था बहुत ही निंदनीय घटना है। विजय नेगी भी इसे बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण घटना बताते हुए कहते है इतने अत्याचार तो अंग्रेजों ने भी नहीं किए थे एक तरफ जहां सरकार शहरों में मलिन बस्तियों को परमानेंट कर रही है वहीं दूसरी तरफ पहाड़ के जो युवा बेरोजगार हैं उनके रोजगार को छीन रही है बाबा केदारनाथ जरूर न्याय करेंगे ऊषा चौहान कहती है तानाशाह की प्रथम सीढ़ी यही है सत्ताधीशों की,! गरीबों का शोषण करो और उन पर राज करो।