दस्तक पहाड़ न्यूज  / अगस्त्यमुनि परंपरागत रूप से फिल्मकारों ने अक्सर पहाड़ के प्राकृतिक सौंदर्य को खूबसूरत और यहां के जनजीवन को कठिन स्वरूप में देखा और प्रस्तुत किया है। जिसमें यहाँ का लोकजीवन और उसका जीवनदर्शन अक्सर गौण रह जाता है। पहाड़ में रचे बसे और यहाँ की खाद-मिट्टी-और पानी से सिंचित चौबीस वर्षीय युवा दिव्यांशु रौतेला ने अपने बचपन और परवरिश में पहाड़ के इस पक्ष को बेहद भीतर से महसूस किया और युवावस्था की दहलीज़ तक आते-आते इसे कैमरे की नज़र देखना शुरू भी कर दिया।

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जीवन गढ़ने की इस महत्वपूर्ण अवधि में प्रकृति और लोकजीवनदर्शन के इस अन्तर्सम्बन्ध के साम्य के साथ कैमरे के पीछे से उसके सौन्दर्यबोध को देखना अपने जीवन का लक्ष्य बनाया। इस कड़ी में अगले पड़ाव तक आते-आते Better Earth नाम से प्रोडक्शन हाउस शुरू किया और कुछ म्यूजिक वीडियोज,शार्ट फ़िल्म और डॉक्यूमेंट्रीज से शुरू हुई यह यात्रा कम समय में ही एक टीम के रूप में स्टूडियो UK 13 तक जा पहुंची।जिसके बैनर तले उत्तराखण्ड की पहली ऐसी शार्ट फिल्म ‘पताळ ती’ Holy Water जो भोटिया भाषा में बनी और बुसान और मॉस्को जैसे अंतरराष्ट्रीय स्तर के सम्मान और पुरस्कारों सहित भारत के सबसे प्रख्यात राष्ट्रीय फ़िल्म पुरस्कार से भी सिनेमेटोग्राफी के लिए सम्मानित हो चुकी है,अस्तित्व में आई। जिसमें दिव्यांशु रौतेला ने सेकंड यूनिट के सिनेमेटोग्राफर के रूप में कमान संभाली। यकीनन इस फ़िल्म के अद्भुत दृश्यांकन और छायांकन देखकर इनके हुनर और कलात्मकता का बोध होता है कि यदि इनको अच्छे अवसर और प्रोत्साहन मिलता रहे तो पहाड़ को एक बिल्कुल अलग तरह से प्रस्तुत किये जाने की भरपूर संभावनाएं लंबे समय तक रहेंगी। अपने इस हुनर से आज ये देहरादून में व्यावसायिक रूप से सफलतापूर्वक अपना Better Earth प्रोडक्शन हाउस चला रहे हैं और साथ ही साथ सामाजिक सरोकारों के प्रति अपनी प्रतिबद्धता के निर्वहन में भी लगातार युवाओं,संस्थाओं,साहित्यिक और सांस्कृतिक क्रियाकलापों में भी निरंतर सहयोग और भागीदारी निभा रहे हैं।