विनोद नौटियाल  / ऊखीमठ। दस्तक पहाड न्यूज- तुंगनाथ घाटी के पर्यटक स्थलों में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा देने को लेकर वन विभाग के माइक्रोप्लान पर ग्रामीणों की आम सहमति नहीं बन पा रही है। इस कारण वन पंचायत मक्कूमठ और वन पंचायत उषाड़ा के वन पंचायत सरपंचों ने अपने पदों से त्यागपत्र दे दिया है। उन्होंने वन विभाग पर दबाव बनाने का आरोप भी लगाया। हालांकि एसडीएम ने इस्तीफा स्वीकार नहीं किया और प्रकरण के जांच की बात कही। वन पंचायत मक्कूमठ के वन पंचायत सरपंच विजय सिंह चौहान ने कहा कि बीते 7

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फरवरी को तहसील प्रशासन की मौजूदगी में वन विभाग की ओर से उषाड़ा एवं मक्कू में खुली बैठक हुई गई थी। वन विभाग की ओर से माइक्रोप्लान, टेंटों के नवीनीकरण सहित अन्य गतिविधियों पर चर्चा की जानी थी लेकिन बैठक में दोनों गांवों के सभी ग्रामीण उपस्थित नहीं हो पाए थे। इस पर, रुद्रप्रयाग वन प्रभाग के डीएफओ अभिमन्यु सिंह ने 15 फरवरी को दोबारा बैठक करने की बात कही। मगर 8 फरवरी को रेंजर का फोन आया। कहा कि बनियाकुंड में पंगेर में उनकी ओर से जो भी गतिविधियां संचालित की जा रही हैं, उन्हें दो दिन में खाली कर दें, अन्यथा विभागीय कार्रवाई होगी। वन विभाग की कार्य प्रणाली से तंग आकर अब दो गांवों के वन पंचायत सरपंच ने सामूहिक रूप से इस्तीफा दे दिया है। वन सरपंच ने अपना इस्तीफा उप जिलाधिकारी को सौंप है और वन विभाग पर नाजायज दबाव बनाने का आरोप लगाया है। आपको बताते चलें वन पंचायत सरपंच मक्कू व वन पंचायत सरपंच उषाडा ने अपने त्यागपत्र में लिखा है कि वन विभाग द्वारा निर्धारित एक पर्यटक पार्क का निर्माण एवं टेंट का नवीनीकरण वह अन्य गतिविधियों के लिए बार-बार ग्रामीणों के साथ बैठक आयोजन कर रहे हैं दोनों गांव के संपूर्ण ग्राम वासियों द्वारा सामूहिक बैठक में बिना सीमांकन के इस कार्य का बहिष्कार किया गया है लेकिन वन विभाग के उच्च अधिकारियों द्वारा इस कार्य को संचालित करने का मौखिक एवं दूरभाष द्वारा दबाव डाला जा रहा है जबकि ग्राम वासियों को इन कार्यों को लेकर घोर आपत्ति है। ऐसे में दोनों गांव के सरपंच ने उप जिलाधिकारी उखीमठ को अपना त्यागपत्र सौंपते हुए अनुरोध किया है कि वह इसे स्वीकार करें।