उत्तराखण्ड से डाॅ राकेश भट्ट और जहूर आलम समेत देश की 80 हस्तियों को मिलेगा संगीत नाटक अकादमी सम्मान
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28/02/20247:54 am
दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड़ न्यूज।।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन संगीत नाटक अकादमी की ओर से वर्ष 2023 के साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा की जा चुकी है। उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोक संस्कृतिकर्मी, रंगकर्मी जहूर आलम और डाॅ राकेश भट्ट समेत विभिन्न क्षेत्रों के 80 संगीत, नृत्य और नाटक के प्रख्यात कलाकारों और विद्वानों को भारत की महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा यह सम्मान प्रदान किया जाएगा। मूल रूप से रूद्रप्रयाग जनपद के ऊखीमठ विकासखण्ड के मंगोली गाँव निवासी डा राकेश भट्ट को यह सम्मान लोकगायन, लोक संगीत के लिए दिया गया है। डाॅ भट्ट की नाट्य संस्था उत्सव ने उत्तराखंड के पौराणिक पाण्डव नृत्य, बगडवाल के साथ नंदा देवी पर अपनी बेहद लोकप्रिय नाट्य प्रस्तुतियों से युवाओं को प्रेरित करने के साथ संपूर्ण पर्वतीय समाज में नई चेतना का संचार किया। आज संस्था से जुड़े सैकड़ों युवा पहाड़ की पौराणिक धरोहरों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में जुटे है। केदार घाटी के लिए डाॅ राकेश भट्ट की यह सांस्कृतिक पहल वास्तव में उत्सव की पराकाष्ठा है, जिसने देशभर में केदारघाटी को विशिष्ट पहचान दिलाई है।
वही नैनीताल के प्रख्यात रंगकर्मी और नाट्य संस्था युगमंच के संस्थापक जहूर आलम ने उत्तराखण्ड में रंगमंच के विकास की गरज से साल 1976 में ‘युगमंच’ की स्थापना की। चार दशक के अपने सफर में युगमंच हिन्दी रंग जगत की उन चुनिंदा संस्थाओं में गिना जाता है जो पूरी प्रतिबद्धता, समर्पण और शिद्दत के साथ संस्कृति और रंगकर्म को लगातार विकसित करता रहे है।अपनी चार दशक की यात्रा में युगमंच ने न केवल सौ से अधिक अविस्मरणीय नाटक किये वरन नाट्य समारोह, कार्यशालाएँ, नुक्कड़ नाटक समारोह, संगीत समारोह, लोक उत्सव, फिल्म समारोह तथा सेमिनार आयोजित किये हैं। रंगमंच के साथ ही संस्था ने दम तोड़ती स्थानीय लोक विधाओं को पुनर्जीवित करने का काम भी कर रही है। 1997 से होली महोत्सव जैसी महत्वपूर्ण पहल के जरिये पहाड़ के परम्परागत होली गायन व नर्तन की लुप्तप्राय विधा को संजीवनी प्रदान की है। परिणामस्वरूप पहाड़ी होली की यह विशिष्ट विधा अपने पूर्व स्वरूप में लौटकर नई पीढ़ी तक पहुँच रही है। कुमाउँनी होली की इस गौरवशाली परम्परा से नई पीढ़ी को जोड़ने के लिए युगमंच प्रतिवर्ष होली की कार्यशालाएँ भी आयोजित कर रहा है।
बता दें संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा स्थापित भारत की संगीत एवं नाटक की राष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी अकादमी है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। जिसकी स्थापना सन् 1953 में हुई थी। अकादेमी की स्थापना का उद्देश्य संगीत नृत्य और नाट्य रूपों में अभिव्यक्त भारत की विविध संस्कृति की विशाल अमूर्त विरासत का संरक्षण और संवर्धन करना है।प्रदर्शन कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले कलाकारों के लिए संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार दिया जाता है। कलाकारों के लिए यह सर्वोच्च राष्ट्रीय मान्यता है। अकादेमी संगीत, नृत्य और नाटक के प्रख्यात कलाकारों और विद्वानों को रत्न सदस्यता भी प्रदान करती है। राष्ट्रीय अवार्ड के रूप में इन वरिष्ठ कलाकारों को ताम्रपत्र, अंगवस्त्रम के अलावा एक लाख रुपये की नकद राशि प्रदान की जाती है।
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उत्तराखण्ड से डाॅ राकेश भट्ट और जहूर आलम समेत देश की 80 हस्तियों को मिलेगा संगीत नाटक अकादमी सम्मान
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दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड़ न्यूज।।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अधीन संगीत नाटक अकादमी की ओर से वर्ष 2023 के साहित्य अकादमी पुरस्कारों की घोषणा की जा चुकी है। उत्तराखंड के सुप्रसिद्ध लोक
संस्कृतिकर्मी, रंगकर्मी जहूर आलम और डाॅ राकेश भट्ट समेत विभिन्न क्षेत्रों के 80 संगीत, नृत्य और नाटक के प्रख्यात कलाकारों और विद्वानों को भारत की
महामहिम राष्ट्रपति श्रीमती द्रौपदी मुर्मू द्वारा यह सम्मान प्रदान किया जाएगा। मूल रूप से रूद्रप्रयाग जनपद के ऊखीमठ विकासखण्ड के मंगोली गाँव निवासी
डा राकेश भट्ट को यह सम्मान लोकगायन, लोक संगीत के लिए दिया गया है। डाॅ भट्ट की नाट्य संस्था उत्सव ने उत्तराखंड के पौराणिक पाण्डव नृत्य, बगडवाल के साथ नंदा
देवी पर अपनी बेहद लोकप्रिय नाट्य प्रस्तुतियों से युवाओं को प्रेरित करने के साथ संपूर्ण पर्वतीय समाज में नई चेतना का संचार किया। आज संस्था से जुड़े
सैकड़ों युवा पहाड़ की पौराणिक धरोहरों के संरक्षण और प्रचार-प्रसार में जुटे है। केदार घाटी के लिए डाॅ राकेश भट्ट की यह सांस्कृतिक पहल वास्तव में उत्सव की
पराकाष्ठा है, जिसने देशभर में केदारघाटी को विशिष्ट पहचान दिलाई है।
[caption id="attachment_36506" align="aligncenter" width="858"] डॉक्टर राकेश भट्ट[/caption]
[caption id="attachment_36507" align="aligncenter" width="800"] जहूर आलम[/caption]
वही नैनीताल के प्रख्यात रंगकर्मी और नाट्य संस्था युगमंच के संस्थापक जहूर आलम ने उत्तराखण्ड में रंगमंच के विकास की गरज से साल 1976 में ‘युगमंच’ की स्थापना
की। चार दशक के अपने सफर में युगमंच हिन्दी रंग जगत की उन चुनिंदा संस्थाओं में गिना जाता है जो पूरी प्रतिबद्धता, समर्पण और शिद्दत के साथ संस्कृति और
रंगकर्म को लगातार विकसित करता रहे है।अपनी चार दशक की यात्रा में युगमंच ने न केवल सौ से अधिक अविस्मरणीय नाटक किये वरन नाट्य समारोह, कार्यशालाएँ, नुक्कड़
नाटक समारोह, संगीत समारोह, लोक उत्सव, फिल्म समारोह तथा सेमिनार आयोजित किये हैं। रंगमंच के साथ ही संस्था ने दम तोड़ती स्थानीय लोक विधाओं को पुनर्जीवित
करने का काम भी कर रही है। 1997 से होली महोत्सव जैसी महत्वपूर्ण पहल के जरिये पहाड़ के परम्परागत होली गायन व नर्तन की लुप्तप्राय विधा को संजीवनी प्रदान की है।
परिणामस्वरूप पहाड़ी होली की यह विशिष्ट विधा अपने पूर्व स्वरूप में लौटकर नई पीढ़ी तक पहुँच रही है। कुमाउँनी होली की इस गौरवशाली परम्परा से नई पीढ़ी को
जोड़ने के लिए युगमंच प्रतिवर्ष होली की कार्यशालाएँ भी आयोजित कर रहा है।
बता दें संगीत नाटक अकादमी भारत सरकार द्वारा स्थापित भारत की संगीत एवं नाटक की राष्ट्रीय स्तर की सबसे बड़ी अकादमी है। इसका मुख्यालय दिल्ली में है। जिसकी
स्थापना सन् 1953 में हुई थी। अकादेमी की स्थापना का उद्देश्य संगीत नृत्य और नाट्य रूपों में अभिव्यक्त भारत की विविध संस्कृति की विशाल अमूर्त विरासत का
संरक्षण और संवर्धन करना है।प्रदर्शन कला के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान देने वाले कलाकारों के लिए संगीत नाटक अकादेमी पुरस्कार दिया जाता है। कलाकारों
के लिए यह सर्वोच्च राष्ट्रीय मान्यता है। अकादेमी संगीत, नृत्य और नाटक के प्रख्यात कलाकारों और विद्वानों को रत्न सदस्यता भी प्रदान करती है। राष्ट्रीय
अवार्ड के रूप में इन वरिष्ठ कलाकारों को ताम्रपत्र, अंगवस्त्रम के अलावा एक लाख रुपये की नकद राशि प्रदान की जाती है।