अगस्त्यमुनि और ऊखीमठ में सूबे के मुख्यमंत्री धामी जी द्वारा आज रक्षाबंधन के कार्यक्रम आयोजन करने व कम्बल व मिठाई बांटने के मामले में केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत अपनी प्रतिक्रिया कुछ इस प्रकार दी-
माननीय मुख्यमंत्री Pushkar Singh Dhami जी को केदारनाथ विधानसभा के अगस्त्यमुनि और ऊखीमठ आना था। कार्यक्रमानुसार उन्हें कुछ उद्घाटन करने थे , जनता मिलन था और रक्षा बंधन के एक दिन बाद फिर रक्षा बंधन का सामूहिक उत्सव मनाना था।
गढ़वाल और केदारघाटी में यदि गांव के किसी भी परिवार-जाति-कुटुंब में कोई मौत हो जाती है या दुर्घटना घटती है तो सारा गांव एक त्यौहार छोड़ देता है। यही राष्ट्राध्यक्ष भी करते हैं और यही परंपरा राज्य के मुखिया भी निभाते हैं। मेरी विधानसभा में नाला के एक परिवार का एक भाई आपदा में गौरीकुण्ड से बह कर मरा और दूसरा 14 दिन बाद हार्ट अटैक से। परिवार बेसहारा हो गया तीन पीढ़ियों की बिधवाएँ ओर मासूम बच्चे रह गए । और भी कई युवा गुमशुदा हैं । यंहा के लोग पहले यात्रा को डाइवर्ट करने या रोकने से बरबाद हो गए हैं , जो बचा था हाल की आपदा में सब लुट-पिट गया है। हर तरह के नुकसान के बाद उनके त्यौहार फीके हो गए हैं। आज गैरसैंण विधानसभा से 200 मीटर दूर के 22 साल के हिमांशु नेगी के घर होकर आए हैं। हिमांशु भी 31 जुलाई से गौरीकुण्ड से गायब है। उसकी मां और बहिन के आंसू थम नहीं रहे हैं। राज्य भर में ऐसे न जाने कितने गुमशुदा हिमांशु होंगे। देश भर से आये और गुमशुदा भी तो हमारे मेहमान थे, यात्री थे , सनातनी थे या उनकी सेवा में थे।
आपदा के अलावा केदारनाथ विधानसभा के 200 से अधिक परिवारों के सर पर हाल की आपदा के बाद छत नहीं है। लोग बच्चों सहित स्कूलों या अन्य जगहों पर इस बरसात की काली रातों को डर कर गुजार रहे हैं। उनकी संपत्ति का बड़ा नुकसान हुआ है। उनकी कोई सुध नही ले रहा है। आपदा में हुई बरबादी की भरपाई के लिए सरकार के पास कोई योजना नही है। 2013 की आपदा के बाद Harish Rawat जी की सरकार ने हर तरह के पीड़ित पर मदद का मरहम लगाया था। यंहा सरकार के पास कोई योजना नही है मदद के लिए। उल्टा सरकार सामूहिक त्यौहार मना रही है। अगस्त्यमुनि कार्यक्रम का ये वीडियो आया है। कंबल और मिठाई के डिब्बे के लिए संघर्ष हो रहा है।
लगता है विश्वास खोती सरकार को या तो अब केवल कंबल का ही सहारा रह गया है या सरकार के ऐसे सलाहकार हैं जो यात्रा रोकने , यात्रा डाइवर्ट करने या केदार शिला दिल्ली भेजने के बाद अब मौत और आपदा को उत्सव के रूप में मनाने की सलाह देते हैं।
मनोज रावत
पूर्व विधायक केदारनाथ