हरीश गुसाईं।। दस्तक पहाड न्यूज ब्यूरो। अगस्त्यमुनि में नगर पंचायत के चुनाव के अन्तिम दौर में सभी प्रत्याशियों ने अपनी पूरी ताकत झाैंक दी है। जनता को लुभाने की हर कोशिश प्रत्याशियों द्वारा की जा रही है। घर घर जाकर हर मतदाता से मिलकर अपने पक्ष में मतदान करने की अपील की जा रही है। यहां पर मुख्य मुकाबला भाजपा के सतीश गोस्वामी एवं कांग्रेस के राजेन्द्र गोस्वामी में दिख रहा है। जबकि निर्दलीय सुशील गोस्वामी इसे त्रिकोणीय बनाने की हर सम्भव कोशिश कर रहे हैं। हालांकि सभी प्रत्याशी अपनी जीत का दावा कर रहे हैं परन्तु मतदाताओं की चुप्पी से प्रत्याशियों के पसीने छूट रहे हैं। अगस्त्यमुनि नगर पंचायत की बात करें तो पहले अध्यक्ष पद पर सीट सामान्य घोषित हो गई थी। प्रत्याशियों ने भी अपनी चुनावी विसात बिछा दी थी कि अचानक से यह सीट ओबीसी के लिए आरक्षित हो गई। इससे

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जहां सामान्य सीट पर सम्भावित प्रत्याशियों में घोर निराशा हुई वहीं राष्ट्रीय दलों तक को ओबीसी प्रत्याशी ढ़ूढ़ने में ऐड़ी चोटी का जोर लगाना पड़ा। कांग्रेस ने जहां राजेन्द्र प्रसाद गोस्वामी पर दांव लगाया तो भाजपा ने सतीश गोस्वामी पर विश्वास जताया। सतीश गोस्वामी का नाम पूर्व में कांग्रेस के पैनल में था। परन्तु कांग्रेस द्वारा राजेन्द्र गोस्वामी को प्रत्याशी बनाये जाने के बाद उन्हें भाजपा ने लपक लिया। दोनो ही दलों ने ऐसे व्यक्तियों को टिकट दिया जो उनके प्राथमिक सदस्य तक नहीं थे। वहीं भाजपा से टिकट न मिलने से नाराज सुशील गोस्वामी ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला ले लिया। अचानक से सीट ओबीसी होने से प्रत्याशियों की संख्या भी सीमित ही रही। अध्यक्ष पद पर केवल तीन ही प्रत्याशियों ने नामांकन कराया। कांग्रेस के राजेन्द्र प्रसाद जहां सामाजिक कार्यों में बढ़चढ़कर हिस्सा लेने की वजह से आम जनता में पहले से ही जाने पहचाने चेहरे रहे हैं। जिससे उन्हें चुनाव में शुरूआती बढ़त भी मिली। अपने सौम्य स्वभाव एवं मिलनसार प्रवृति ने उन्हें जनता के बीच शीघ्र ही लोकप्रिय बना दिया। जिसका पूरा फायदा उन्हें मिलता दिख रहा है। पूर्व विधायक मनोज रावत के साथ पूर्व प्रदेश अध्यक्ष गणेश गोदियाल उनके पक्ष में रोड शो कर चुके हैं। परन्तु कांग्रेस संगठन की गुटबाजी से उनको नुकसान भी उठाना पड़ सकता है। भाजपा प्रत्याशी सतीश गोस्वामी पेशे से शिक्षक हैं। परन्तु सामाजिक क्षेत्र में उनकी सक्रियता न के बराबर होने से उन्हें शुरूआती दौर में अपनी पहचान बनाने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। उन्हें भाजपा प्रत्याशी बनाने में केदारनाथ विधायक आशा नौटियाल का विशेष सहयोग रहा। सतीश की जीत आशा नौटियाल के लिए विशेष महत्व रखती है। इसको देखते हुए उन्होंने नगर क्षेत्र में लगातार भ्रमण कर सतीश को जिताने के लिए ऐड़़़ी चोटी का जोर लगाया है। इसके साथ ही भाजपा संगठन भी पूरी तरह से उनके प्रचार में जुटा है तथा भाजपा जिलाध्यक्ष महावीर पंवार, रूद्रप्रयाग विधायक भरत चौधरी, सीमान्त अनुश्रवण परिषद् के उपाध्यक्ष चण्डी प्रसाद भट्ट, बीकेटीसी के निवर्तमान अध्यक्ष अजेन्द्र अजय भी उनके प्रचार में अपना समय दे रहे हैं। जिससे वे अब मुख्य मुकाबले में नजर आ रहे हैं। निर्दलीय सुशील गोस्वामी मुकाबले को त्रिकोणीय बनाने में जुटे हैं। उन्होंने भाजपा से टिकट मांगा था परन्तु नहीं मिला। जिससे उन्होंने निर्दलीय चुनाव लड़ने का फैसला किया। उनकी माताजी पूर्व में भाजपा से नगर पंचायत सभासद रही है। सुशील गोस्वामी रामलीला में महत्वपूर्ण पात्रों को निभाने के साथ ही कमेटी में विभिन्न पदों पर रहने की वजह से काफी लोकप्रिय हैं। रामलीला कमेटी से जुड़े लोग हर वार्ड से सभासद का चुनाव भी लड़ रहे हैं तथा सबका चुनाव चिह्न भी गैस सिलेण्डर है। अब इसका फायदा अध्यक्ष पद पर सुशील गोस्वामी को कितना मिलता है वह भविष्य के गर्भ में है। परन्तु वे पूरी तरह से आश्वस्त हैं कि भाजपा से नाराज मतदाता एवं नगर क्षेत्र की जनता के आशीर्वाद से उनकी जीत निश्चित है। अब चुनाव को मात्र दो दिन रह गये हैं। पहाड़ में इसे सिरतू की रात भी कहा जाता हैं। इन्हीं दो दिनों में फ्लोटिंग वोट को साधने का कार्य भी किया जाता है। जो भी प्रत्याशी इन दो दिनों में अपने केडर की वोट को सम्भाल कर इन फ्लोटिंग वोटों को साधने में सफल होगा। जीत का सेहरा भी उसी के सिर बंधेगा।