हरीश गुसाई / दस्तक पहाड़ न्यूज।। रूद्रप्रयाग जनपद में निजी विद्यालयों की मनमानी से छात्र एवं अभिभावक काफी त्रस्त हैं। शासनादेश के बाबजूद ये निजी विद्यालय छात्रों से अधिक फीस वसूलने के साथ ही मंहगी किताबें एवं स्टेशनरी खरीदने को मजबूर करते हैं। इनमें से कई स्कूल तो मानक भी पूरे नहीं करते हैं। फिर भी ये स्कूल धड़ल्ले से न केवल चल रहे हैं बल्कि इनमें निरन्तर छात्र संख्या भी बढ़ती जा रही है। वहीं इनके सापेक्ष सरकारी विद्यालयों में निरन्तर छात्र संख्या घट रही है। परन्तु अब इन विद्यालयों पर

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शिक्षा विभाग कड़ी कार्यवाही करने जा रहा है। उत्तराखण्ड में वित्त पोषित विद्यालयों में जूनियर (कक्षा 6 से 8) और माध्यमिक (कक्षा 9 से 10) स्तर के लिए शुल्क संरचना राज्य सरकार द्वारा निर्धारित की गई है। शासनादेश संख्या 380/ग्ग्प्ट-3/2005 में निर्धारित शुल्क जो कि कक्षा 6 से 8 के लिए ट्यूशन फीस शून्य निर्धारित है, जबकि कक्षा 9 से 10 के लिए यह रू0 15 प्रति माह है को फिर से लागू किया गया है। अन्य शुल्क भी न्यूनतम रखे गए हैं ताकि छात्रों पर आर्थिक बोझ न पड़े। लेकिन निजी विद्यालय इस शासनादेश को धत्ता बताते हुए अपनी मनमर्जी की फीस वसूलने पर लगे है। इनमें से कई विद्यालयों में तो मानक भी पूरे नहीं हैं। अपने राजनैतिक सम्पर्कों के कारण इन विद्यालयों पर कार्यवाही करने से हर कोई कतराता रहा है। परन्तु अब ऐसे विद्यालयों पर शिक्षा विभाग अपनी नजर टेड़ी करने जा रहा है। जानकारी मिली है कि मानक पूरे न होने पर 50 से अधिक स्कूलों को नोटिस जारी किए गये हैं। साथ ही विभाग द्वारा इनसे पेनाल्टी भी वसूलने की तैयारी है। इन नोटिसों से पूरे जनपद में हड़कम्प मचा है। ऐसे में इन स्कूलों पर बन्द होने का खतरा मण्डराने लगा है। अगस्त्यमुनि के खण्ड शिक्षा अधिकारी अतुल सेमवाल ने बताया कि कतिपय विद्यालयों में विभिन्न शुल्क के नाम पर छात्रों से अनावश्यक पैसा लिया जाता है। जो कि नियम विरूद्ध है। कहा कि शासनादेश में स्पष्ट है कि प्रवेश शुल्क केवल प्रवेश के समय लिया जाना चाहिए, पुनः प्रवेश पर अतिरिक्त शुल्क नहीं लिया जा सकता। कोई भी विद्यालय कॉशन मनी नहीं ले सकता। यदि लिया गया है, तो उसे वापस करना होगा। इन विद्यालयों में तीन वर्षों में एक बार, अधिकतम 10 प्रतिशत तक ही फीस बढ़ा सकते हैं। कोई भी समिति, न्यास, कंपनी या विद्यालय छात्रों के प्रवेश के लिए अतिरिक्त शुल्क या चंदा नहीं ले सकता। किताबें और स्टेशनरी विद्यालय छात्रों को महंगी किताबें या स्टेशनरी खरीदने के लिए बाध्य नहीं कर सकते। यदि छात्र के पास पुरानी किताबें हैं, तो उन्हें नई किताबें खरीदने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा कि यदि कोई स्कूल छात्रों एवं अभिभावकों पर शुल्क से सम्बन्धित या अनावश्यक अन्य किसी मद में पैसा लेता है तो उसकी शिकायत खण्ड शिक्षा अधिकारी/जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में की जा सकती है। विभाग द्वारा ऐसे विद्यालयों के खिलाफ सख्त कार्यवाही की जायेगी। आवश्यक हुआ तो उनका पंजीकरण रद्द करते हुए विद्यालय को बन्द किया जा सकता है।