आपदा प्रभावित क्षेत्रों में संभावित खतरे की रोकथाम हेतु प्रशासन द्वारा कराया गया भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण
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29/07/20257:26 pm
दस्तक पहाड न्यूज / अगस्त्यमुनि।।
जनपद रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि क्षेत्र अंतर्गत 26 जुलाई, 2025 को हुई अतिवृष्टि एवं बादल फटने की घटनाओं ने कुछ क्षेत्रों को प्रभावित किया था। रूमसी, चमेली तथा आसपास के अन्य क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा एवं जल प्रवाह के कारण कुछ स्थानों पर भूस्खलन, भू-धसाव तथा नालों में तीव्र बहाव से कुछ ग्रामीणों के आवासीय भवन, गौशालाएं आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुईं थी।आपदा की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी प्रतीक जैन द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत, पुनर्वास एवं सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश संबंधित विभागीय अधिकारियों को दिए गए थे। इन्हीं निर्देशों के क्रम में आज प्रशासन द्वारा संभावित जोखिम वाले स्थलों पर भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण कार्य संपन्न कराया गया, ताकि भविष्य में किसी बड़ी आपदा की आशंका से पूर्व ही उचित निवारक उपाय किए जा सकें।भूवैज्ञानिक कृष्ण सजवाण द्वारा मौके पर पहुंचकर प्रभावित क्षेत्रों का भौगोलिक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान संभावित भूस्खलन क्षेत्रों, जल निकासी की स्थिति तथा प्रभावित भूखंडों की स्थिरता का सूक्ष्म अवलोकन कर जोखिम की स्थिति का प्रारंभिक आंकलन किया गया।
प्रशासन द्वारा आपदा संभावित क्षेत्रों में सतर्कता के साथ लगातार निगरानी रखी जा रही है। संभावित संवेदनशील स्थलों को चिह्नित कर वहां निवास कर रहे लोगों को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने तथा आवश्यकतानुसार अस्थायी शेल्टर की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।जिलाधिकारी द्वारा सभी विभागों को आपसी समन्वय के साथ त्वरित कार्रवाई करने, ग्रामीणों को जागरूक बनाए रखने तथा मानसूनी परिस्थितियों में संभावित आपदा को न्यूनतम करने के लिए प्रत्येक स्तर पर सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए हैं।भूवैज्ञानिक निरीक्षण के साथ सर्वेक्षण कार्य में कानूनगो दुर्गा सिंह रावत, पटवारी अगस्त्यमुनि सुरेंद्र उखियाल, अतिरिक्त पटवारीगण अमित पुंडीर एवं संतोष नेगी तथा लोक निर्माण विभाग की तकनीकी टीम मौजूद रही।
आपदा प्रभावित क्षेत्रों में संभावित खतरे की रोकथाम हेतु प्रशासन द्वारा कराया गया भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण
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जनपद रुद्रप्रयाग के अगस्त्यमुनि क्षेत्र अंतर्गत 26 जुलाई, 2025 को हुई अतिवृष्टि एवं बादल फटने की घटनाओं ने कुछ क्षेत्रों को प्रभावित किया था। रूमसी, चमेली
तथा आसपास के अन्य क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा एवं जल प्रवाह के कारण कुछ स्थानों पर भूस्खलन, भू-धसाव तथा नालों में तीव्र बहाव से कुछ ग्रामीणों के आवासीय
भवन, गौशालाएं आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त हुईं थी।आपदा की गंभीरता को देखते हुए जिलाधिकारी प्रतीक जैन द्वारा प्रभावित क्षेत्रों में तत्काल राहत, पुनर्वास
एवं सुरक्षा व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश संबंधित विभागीय अधिकारियों को दिए गए थे। इन्हीं निर्देशों के क्रम में आज प्रशासन द्वारा संभावित जोखिम
वाले स्थलों पर भूवैज्ञानिक सर्वेक्षण कार्य संपन्न कराया गया, ताकि भविष्य में किसी बड़ी आपदा की आशंका से पूर्व ही उचित निवारक उपाय किए जा
सकें।भूवैज्ञानिक कृष्ण सजवाण द्वारा मौके पर पहुंचकर प्रभावित क्षेत्रों का भौगोलिक निरीक्षण किया गया। निरीक्षण के दौरान संभावित भूस्खलन क्षेत्रों,
जल निकासी की स्थिति तथा प्रभावित भूखंडों की स्थिरता का सूक्ष्म अवलोकन कर जोखिम की स्थिति का प्रारंभिक आंकलन किया गया।
प्रशासन द्वारा आपदा संभावित क्षेत्रों में सतर्कता के साथ लगातार निगरानी रखी जा रही है। संभावित संवेदनशील स्थलों को चिह्नित कर वहां निवास कर रहे लोगों
को सुरक्षित स्थानों पर स्थानांतरित करने तथा आवश्यकतानुसार अस्थायी शेल्टर की व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं।जिलाधिकारी द्वारा सभी
विभागों को आपसी समन्वय के साथ त्वरित कार्रवाई करने, ग्रामीणों को जागरूक बनाए रखने तथा मानसूनी परिस्थितियों में संभावित आपदा को न्यूनतम करने के लिए
प्रत्येक स्तर पर सक्रिय रहने के निर्देश दिए गए हैं।भूवैज्ञानिक निरीक्षण के साथ सर्वेक्षण कार्य में कानूनगो दुर्गा सिंह रावत, पटवारी अगस्त्यमुनि
सुरेंद्र उखियाल, अतिरिक्त पटवारीगण अमित पुंडीर एवं संतोष नेगी तथा लोक निर्माण विभाग की तकनीकी टीम मौजूद रही।