दीपक बेंजवाल  / दस्तक पहाड न्यूज रुद्रप्रयाग।। रुद्रप्रयाग की सुबह आज किसी सियासी थ्रिलर से कम नहीं थी। कई दिनों से अदृश्य चल रहे जिला पंचायत सदस्य आज जैसे ही प्रकट हुए, माहौल में सनसनी फैल गई। वजह—धन-बल के खेल और आखिरी मिनट की चालें, जिसने पूरे चुनावी गणित को उलट-पुलट कर दिया। कागज़ी आंकड़ों में कांग्रेस और भाजपा के पास नौ-नौ सदस्य थे। भाजपा के आधिकारिक तौर पर सिर्फ पाँच, लेकिन दो बागी और दो निर्दलीय भी उनके पाले में थे। बाक़ी नौ कांग्रेस के पास थे, और मुकाबला बराबरी का। लेकिन जैसे ही मतगणना शुरू

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हुई, खेल पलट चुका था। भाजपा ने अध्यक्ष और उपाध्यक्ष दोनों पद हथिया लिए। असली धमाका तब हुआ जब यह खुलासा हुआ—कांग्रेस के एक सदस्य का वोट निरस्त कर दिया गया। कारण ?—पेनइंक का फर्क! अब उठ रहे हैं तीखे सवाल— क्या यह सिर्फ अज्ञानता थी या सोची-समझी साजिश ? , कौन है वह कांग्रेस सदस्य जिसने बाज़ी पलटी ? , क्या उसने अपने ही खेमे के साथ विश्वासघात किया ? चुनाव आयोग के नियम पहले से तय और समझाए जाते हैं। फिर इतनी बड़ी "चूक" कैसे ? फिलहाल, केदारनाथ के पूर्व विधायक मनोज रावत के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ता जिला कलेक्ट्रेट में धरने पर हैं। वे धामी सरकार पर लोकतंत्र की हत्या का आरोप जड़ते हुए निष्पक्ष न्याय की मांग पर अड़े हैं। वे पेनइंक वाले कारण को तर्कसंगत नहीं मानते। इसे भाजपा की चाल बताते है। बावजूद रुद्रप्रयाग की इस कहानी में अब सबकी नज़र सिर्फ एक किरदार पर टिकी है— "पेनइंक वाला खिलाड़ी", जिसने कांग्रेस की नाव बीच मझधार में डुबो दी।