दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड न्यूज।। आँखों में आँसू और बेबस लाचार एक दादी के अधीर हृदय देख आज नये साल के पहले दिन  अगस्त्यमुनि बाजार के व्यापारियों ने बड़े धैर्य और सूझबूझ से सात साल के आदर्श को गहरी पीड़ा से निजात दिलाकर मानवता की मिसाल पेश की है। दरअसल छोटी-छोटी घटनाऐ कभी-कभार किसी बड़ी मुसीबत का अंदेशा लेकर आ जाती है। आज शाम को लगभग चार बजे उदयपुर बष्टी गाँव में सात साल का आदर्श पुत्र देवेन्द्र सिंह अपने दोस्तों के साथ मोटे लोहे के एक ढक्कन को अंगूठी समझकर खेल रहा था। आदर्श ने भी खेल-खेल में लोहे का ढक्कन अंगुली में डाल दिया लेकिन जैसे ही वह उसे निकालने लगा तो वह अंगुली में फंसता चला गया। मस्ती का सारा खेल दर्दनाक हादसे में बदल गया। आदर्श चीखने बिलखने से घबराई उसकी बहन ने घास लेने गई दादी को आवाज दी। घर लौटी दादी ने जब पोते की हालत देखी तो वह भी घबरा गई,

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उन्होंने भी उसे निकालने का प्रयास किया लेकिन ढक्कन और गहराई से फसता चला गया और पूरी अंगुली सूज कर मोटी हो गई। आदर्श की स्थिति देख गाँव का एक युवा बाईक से उन्हें राजकीय सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र अगस्त्यमुनि पहुँचे। जहाँ उसे स्वर्णकार के पास जाने की सलाह दी। रोते हुए पोते के लेकर जब बुजुर्ग दादी बाजार में भटक रही थी तो कुछ व्यापारियों ने आगे बढ़कर दादी और पोते को भावना ज्वैलर्स के यहाँ ले गए। अब शुरू दुकान के मालिक प्रवेन्द्र पंवार द्वारा शुरू हुआ मिशन मानवता। भावना ज्वैलर्स का काउंटर पर ढक्कन को काटने की मुहिम शुरू हुई, लेकिन ढक्कन काटने से सूज चुकी अंगुली पर बेहद सावधानी से आरी चलानी पड़ रही थी, फिर किसी ने हाथ पकड़ा, किसी ने बाँह तो कोई बहलाता रहा तो कुछ व्यापारी बिस्किट पानी लेकर हौसला बढ़ाने के लिए ढाई घंटे तक डटे रहे। काफी मशक्कत के बाद सबके धैर्य से ढक्कन के चार हिस्से काट कर अलग करने केबाद सबने राहत की सांस ली और आदर्श को भी अपनी पीड़ा से मुक्ति मिल गई। इस पूरे मिशन मानवता में आदर्श की पीड़ा और बिलखने से दादी सहित व्यापारी भी भावुक हो गए। अच्छी बात ये रही कि शाम छह बजे से आठ बजे तक दुकान छोड़कर आया कोई व्यापारी टस से मस नही हुआ, सब दुआ करते रहे की आदर्श को जल्द से जल्द राहत पहुँचे। रिंग कटने के बाद प्राथमिक उपचार के बाद आदर्श अपनी दादी के साथ आराम से घर लौट गया। व्यापार संघ अध्यक्ष त्रिभुवन नेगी बताते है कि भावना ज्वैलर्स के मालिक प्रवेन्द्र पंवार ने ढाई घंटे तक धीरे-धीरे लोहे की उस मोटी रिंग को आखिरकार सुरक्षित ढंग से काटा तो हम सबने राहत की सांस ली। आदर्श को तड़पता देख मेरी आंखो में भी आँसू आ गए थे। साथ आई उसकी दादी ने सभी को ढेर सारा आशीर्वाद दिया तो बड़ा सकून मिला। इस मिशन मानवता में आज व्यापारी वकार अहमद,सतेंद्र नेगी, जितेंद्र रावत, सुनील नेगी, मनोज कुमार,सुल्तान चौहान, अजय, भानुप्रताप की भूमिका सराहनीय रही जो पूरे ढाई घंटे तक उनकी सहायता करते रहे। [caption id="attachment_40951" align="alignnone" width="696"] आदर्श और हाथी[/caption] [caption id="attachment_40955" align="alignnone" width="696"] भावना ज्वैलर्स के प्रवेन्द्र पंवार[/caption]