केदारघाटी के इस गाँव में आज भी देवता रूप में पूजे जाते है भीम, मंदिर में मौजूद है प्राचीन मूर्ति

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विनोद नौटियाल / ऊखीमठ

दस्तक पहाड न्यूज – केदारघाटी रहस्यों और अनूठी मान्यताओं की धरती है। आज भी ऐसे बहुत सारे रहस्य है, जिन्हें बहुत सारे लोग नहीं जानते। जी हाँ बात हो रही केदारघाटी में बाहुबली भीम के एक रहस्यमयी मंदिर की जहाँ आज भी ग्रामीण भीमसेन की पूजा आराध्य देवता के रूप में करते है।

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उत्तराखंड के गढ़वाल क्षेत्र में पाण्डव को लेकर बड़ी मान्यता है, कहा जाता है स्वर्गारोहण के समय पाण्डवों ने केदार घाटी में अपने अस्त्र-शस्त्रों को लोक कल्याण के लिए रख छोड़ा था, तभी से पाण्डव की गौरव गाथा को यहाँ गाया और पूजा, नचाया जाता है। सामान्यतः पाण्डवों के सभी पात्र, नारायण और हनुमान यहाँ लोक देवता के रूप में स्थापित है लेकिन अकेले भीम की पूजा इसी गांव में होती है।

भीरी गांव स्थित भीम शिला को लेकर मान्यता है कि प्राचीनकाल में भीरी से लगे एक दर्जन से अधिक गांवों में भीरू नाम के राक्षस का आतंक था, जो प्रतिदिन, इन गांवों से एक-एक व्यक्ति को अपना निवाला बनाता था। बताते हैं कि कैलाश यात्रा के दौरान जब पांडव यहां से गुजर रहे थे, तब भीरी में एक महिला ने अपनी आपबीती उन्हें सुनाई। इस महिला के पुत्र को भी राक्षस ने अपना निवाला बना दिया था। पांडवों में सबसे बड़े युधिष्ठर ने भीम को उस राक्षस का वध करने को कहा। भीम ने भीरू राक्षस से युद्ध करते हुए उसका वध कर दिया। तब से इस स्थान का नाम भीरी पड़ा और ग्रामीणों द्वारा यहां पर भीम की मूर्ति स्थापित की गई, जो आज भी पत्थर की शिला के रूप में मौजूद है।

भीरी गांव निवासी हरिमोहन सिंह नेगी बताते हैं कि क्षेत्र में होने वााले पांडव नृत्य के दौरान पांडव आज भी गंगा स्नान कर भीमशिला के दर्शन कर भोग लगाते हैं।

 

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