पहाड़ की सरकारी स्कूल से पढ़े डाॅ अखिलेश बने अमेरिका में वैज्ञानिक, दुर्गम परिस्थितियों को हराकर हासिल की सफलता, बने मिशाल

-

दीपक बेंजवाल / दस्तक पहाड न्यूज

पहाड़ की दुर्गम भौगोलिक परिस्थितियों में मेहनत और लगन के बल पर खुद को निखारने वाले कालीमठ घाटी के युवा अखिलेश की सफलता हमारे समाज के लिए नजीर है। ये उसी चर्चित कालीमठ घाटी के निवासी है जिसके गर्भ में संस्कृत के महान विद्वान कालीदास का जन्म हुआ, आज भी इस क्षेत्र में संस्कृत के उद्भट विद्वानों की बहुतायत है और आधुनिक विषयों के साथ शिक्षा, विज्ञान, स्वास्थ्य, सेना के उच्च पदों पर चयनित हुई सैकड़े प्रतिभाऐ। इस उपलब्धि में डाॅ अखिलेश का नाम भी स्वर्णिम अक्षरों के साथ दर्ज हो गया है जिन्होंने विकट और दुर्गम भौगोलिक परिस्थतियों को हराकर सात समंदर पार तक सफलता की नई इबारत लिखी है। पहाड़ की इस होनहार प्रतिभा को दस्तक पहाड़ परिवार की ओर से ढेर सारी बधाईयाँ।

- Advertisement -

राजकीय इंटर काॅलेज कोटमा से पढ़े होनहार युवा डॉ० अखिलेश का अमेरिका के वॉशिंग्टन में पोस्ट डॉक्टरेल विज्ञानी बनने से घाटी में खुशी की लहर छाई है। रूद्रप्रयाग जिले के कालीमठ घाटी के कोटमा गाँव निवासी डॉ० अखिलेश की बेसिक शिक्षा गाँव के ही सरस्वती शिशु मन्दिर से और इण्टर तक की शिक्षा राजकीय इंटर काॅलेज कोटमा से हुई। जिसके बाद उन्होंने देहरादून के उत्तराखण्ड तकनीकी विश्वविद्यालय से बी फार्मा और देवस्थली विद्यापीठ रुद्रपुर एम फार्मा कर आईआईटी बनारस से पीएचडी उपाधि प्राप्त की। इनके कई रिसर्च शोध और विख्यात अंतरराष्ट्रीय जनरल में प्रकाशित हुए। उच्च शिक्षा प्राप्त करने के बाद हाल ही में अमेरिका की वाशिंगटन यूनिवर्सिटी इन सेंट लुइस में पोस्ट डॉक्टरेट वैज्ञानिक के लिए इनका चयन हुआ।

- Advertisement -

साधारण परिवार से जुडे डॉ०अखिलेश का जन्म कालीमठ घाटी के कोटमा ग्राम सभा के सोलर गांव के जुनार तोक में हुआ है। इनके पिताजी प्रेमलाल शाह और माता जी सुधा देवी आज भी गाँव में रहते है। उन्होंने जमीनी स्तर से उठकर इतने बड़े प्रतिष्ठित स्थान से पीएचडी कर अब पोस्ट डॉक्टोरेल वैज्ञानिक बनने तक का सफर कठिन परिश्रम से पूरा किया बावजूद उन्होंने अपनी इस कामयाबी का श्रेय अपने माता-पिता के साथ अपने बड़े भाई कुलदीप कोटियाल, भाभी विजया कोटियाल, बहिन सन्तोषी पोखरियाल, बहनोई अनूप पोखरियाल एवं अपनी पत्नी सोनम कोटियाल से हर पल मिले सहयोग और प्रोत्साहन को दिया। दस्तक पहाड़ के साथ अपने विचारों को साझा करते हुए वो कहते है मेरी मेहनत की राह इतनी आसान नहीं थी, सरकारी विद्यालय और हिन्दी माध्यम से पढ़ाई कर एकाएक अंग्रेजी भाषा को माध्यम बनाना मेरे सामने बड़ी चुनौति थी, गाँव से अचानक शहर जाकर बीफार्मा, एमफार्मा और फिर आईआईटी तक पहुँचना और जीवन के लक्ष्य को निर्धारित करना हरपल मुझे जगाए रखता। परिवार और गुरूजनों से मिले प्रोत्साहन ने मुझे हमेशा हिम्मत और उमंग दी। वो कहते है लक्ष्य पाना आसान नही होता है खासकर तब जब आपका माहौल बिल्कुल अलग हो, ऐसे में मेहनत के लिए बहुत कुछ त्यागना पढ़ता है, कष्ट भी मिलते है, धैर्य रखकर समय साधना होता है फिर जरूर एक सुबह सफलता की दस्तक आपके सामने होती है।

 

- Advertisement -

इसे भी पढे ----

वोट जरूर करें

केदारनाथ उपचुनाव में किसकी होगी जीत?

  • आशा नौटियाल (भाजपा) (46%, 23 Votes)
  • मनोज रावत (कांग्रेस) (40%, 20 Votes)
  • त्रिभुवन चौहान (निर्दलीय) (8%, 4 Votes)
  • आशुतोष भण्डारी (यूकेडी) (6%, 3 Votes)
  • अन्य (0%, 0 Votes)

Total Voters: 50

Loading ... Loading ...
[avatar]