दीपक बेंजवाल / अगस्त्यमुनि।
दस्तक पहाड न्यूज – कार्तिकेय मंदिर समिति के तत्वाधान में कार्तिक स्वामी मंदिर में आगामी 14 नवम्बर को वैकुंठ चतुर्दशी पर्व के अवसर पर खड़ा दिया पूजन का आयोजन किया जाएगा। मंदिर समिति ने व्रत पूजा मनाने को लेकर तैयारियां शुरू कर दी हैं। इस बार भी स्थानीय निवासियों द्वारा मंदिर में भगवान कार्तिक की रात्रि को विशेष पूजा अर्चना के बाद कीर्तन भजनों का आयोजन भी किया जाएगा। रात्रि में चार पहर की पूजा अर्चना कर विश्व कल्याण की कामना की जाएगी। रात्रि को मंदिर के चारों ओर से दीपों की रोशनी से जगमग किया जाएगा। क्षेत्र की पोगठा, स्वांरी ग्वांस, बाडव, जहंगी, तड़ाग, उर्खोली समेत कई गांवों से कीर्तन मंडलियां पहुंचने की उम्मीद है। स्थानीय लोगों से सहयोग की अपेक्षा की गई है। इसके अलावा निसंतान दंपति रात्रि में खड़ा दीपक व्रत को लेकर भी पहुंचेंगे। इस वर्ष भी बड़ी संख्या में निसंतान दंपतियों के पहुंचने की उम्मीद है।
माना जाता है इस दिन 33 कोटि देवी देवता कार्तिकेय को मिलने क्रौंच पर्वत पर आते हैं। ऐसे में यहां पहुंचे सभी भक्तों की मनोकामनाएं पूरी होती हैं। कार्यक्रम में मंदिर समिति की ओर से भंडारे का आयोजन भी किया जाएगा।
कार्तिकेय मंदिर समिति के कार्यकारी अध्यक्ष विक्रम नेगी ने बताया कि 14 नवंबर को कार्तिक स्वामी मंदिर में बैकुंठ चतुर्दशी व्रत पूजा का भव्य आयोजन किया जा रहा है। जिसमें भगवान कार्तिकेय की चार पहर पूजा की जाएगी साथ ही संतान प्राप्ति की कामना के लिए निसंतान दम्पत्तियों द्वारा खड़ा दिया पूजन के साथ कीर्तन मण्डलियों द्वारा रात्रि जागरण किया जाएगा।
15 नवम्बर को पूजा अर्चना व जलाभिषेक करने के बाद व्रत का समापन किया जाएगा। बताया कि कार्तिकेय रुद्रप्रयाग और चमोली जिले की 362 गांवों के आराध्य हैं।
मंदिर समिति के प्रबन्धक पूर्ण सिंह नेगी, कोषाध्यक्ष चंद्र सिंह नेगी, सचिव बलराम सिंह नेगी, उप प्रबन्धक रमेश सिंह नेगी, सदस्य उत्तम राज सिंह नेगी ने बताया कि क्रौंच पर्वत पर स्थित कुमार कार्तिकेय का यह मंदिर उत्तर भारत का एकमात्र मंदिर हैं। प्रतिवर्ष यहां जून माह में महायज्ञ का आयोजन एवं कार्तिक चतुर्दशी को बैकुंठ चतुर्दशी व्रत मनाने की परम्परा भी है, जिसमें दूर दराज क्षेत्रों से भक्तजन पहुंचकर इसके साक्षी बनते हैं।
बैकुंठ चतुर्दशी तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की शुरुआत 14 नवंबर 2024 को सुबह 9 बजकर 43 मिनट पर होगी। वहीं चतुर्दशी तिथि का समापन 15 नवंबर को सुबह 6 बजकर 19 मिनट पर हो जाएगा। इस दिन पूजा निशिता काल में की जाती है इसलिए बैकुंठ चतुर्दशी का पूजन 14 नवंबर 2024 को किया जाएगा।